बिना किसी वजह के अनफ्रेंड होना, एकदम से अवसाद ग्रसित करता है न।


बेशक शून्य सँवाद रहा हो पर अमित्र करने की पहल करने से बचता हूँ, पर शुरुआती दौर में धड़ाधड़ मित्रसूची का पहाड़ तैयार कर लिया, जिनमें बहुत से मित्रों की ओर से कोई सँवाद नहीं है, और मेरे ओर से भी न तो हर एक के वाल पर पहुंचना सम्भव है और न ही उनके कोई नोटिफिकेशन्स आते हैं।
और तो और, मुझे लगता है दस प्रतिशत से ज्यादा मित्र ऐसे होंगे जिन्होंने वर्षों से फेसबुक चलाया ही नहीं। और हाँ, ये कोरोना काल बहुत से बेहतरीन लोगों को स्वर्गीय भी बना गया, लेकिन उनकी प्रोफ़ाइल सूची में दर्ज है। ऐसे में अब जबकि अधिकतम मित्र सूची की संख्या को छू चुके हैं, और फिर भी करीबन हजार रिक्वेस्ट पेंडिंग हैं, साथ ही कभी न कभी तो लगता हैं किसी को रिक्वेस्ट भेजें, पर करें तो क्या करें। 


वैसे तो है मेरा पेज भी, जहां पर लाइक्स यानी फॉलोअर्स भी ठीक ठाक हैं पर दोस्ती तो प्रोफ़ाइल पर ही जँचती है, है न। 

ये भी सच है कि बहुत से वरिष्ठ या गरिष्ठ एकतरफा मित्रता मने फैन फॉलोइंग टाइप ही चाहते हैं।
वो खूब एक्टिव रहकर भी कभी न कहेंगे - मुक्कू बढ़िया लिखे हो, उन्हें तो लगता है जैसे एक पाठक सूची जोड़ी है
। पर इनमें से भी किसी एक को हटाने पर, उन्हें तुरंत पता चल जाता है, फिर मैसेज जरूर आता है, तंज वाला कि अनफ्रेंड कर दिए?? फिर से उन्हें जोड़ा, लेकिन ज्यादा दर्द तब लगता है कि उसके बावजूद उन्हें कोई पोस्ट/तस्वीर अलाना-फलाना उपस्थिति लायक न दिखी । 



खैर, फेसबुक के चोंचले हैं, जो साथ ही रहेंगे, मित्र तो जान हैं, वो सूची में रहें या न रहें

(एनीवे, मोबाइल पर टाइपिंग स्पीड इस तरह भी कुछ न कुछ लिखते हुए देखना चैये
)

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