कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Monday, May 19, 2014

चाभी वाले अलार्म घड़ी के आवाज पर उठकर, लंबे धारीदार ढीले पैजामे व बुशर्ट में निकलता था, हल्की फुलकी भोर के बीच तेज ठंडी हवा ..... चिड़ियों की आवाजें ... पत्तों पर ऑस की बूंदें ---- भिंगी घास की गंध और मिट्टी की ललछौंही पर पसरी गहरी शांति ........ तेज कदमों से चलते .... आखिर वही नदी के ऊपर का पुल .......... सफर का अंत होता था हर सुबह का, पहुँचने के लिए ! हर दिन यही लगता जैसे वो कल-कल दौड़ती - कूदती - भागती जलधारा बुला रही हो। और पहुँचते ही बस एक काम ........पूल से तांगे लटका कर नमी महसूसना !! लोहे के खंबे मे लटकते हुए कुछ बूंदें जैसे ही चेहरे से टकराती .......... एक प्यारी सी सुकून चेहरे पर आ जाती .......... ऐसे लगता जैसे सुबह सुबह नहा लिए  !! 
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बड़ा होता बचपन शायद प्रकृति में ही किसी को ढूँढता था  अब महसूस रहा 

Saturday, May 17, 2014

आशा / आकांक्षा / उम्मीदों की जीत !!

आशा / आकांक्षा / उम्मीदों की जीत !!

भारतीय लोकतन्त्र ने आखिर 30 वर्षों बाद एक बार फिर से आशा / आकांक्षा / उम्मीदों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चुनी है ।

याद रखना होगा, सफलताओं के पंख होते हैं पर असफलता के पैर भी टूट चुके होते हैं, वो सबको लंगड़ा, लूलहा सा नजर आता है । ऐसा नहीं है की अब तक जो होता आया, वो गलत या बुरा था मेरी समझ कहती है, आज का भारत पूर्ण सुदृढ़ है वो चाहे आर्थिक पक्ष हो या सुरक्षा की दृष्टि से हो, हमारी सारी सीमाएं महफूज हैं, हमारा नाम विश्व मे हैं ..........

समान्यतः विजयी टीम का कप्तान अपने विजयी भाषण मे अपने खेल की तारीफ करता है, न की ये बताता है की हारी हुई टीम में क्या क्या गलतियाँ थी । उन गलतियों पर नजर दौड़ाने के लिए बहुत सारा समय मिलेगा ! अभी तो बस जश्न मनाएँ और ये जश्न बनाना बहुत जायज है !

अब मेरी बात !! एक साधारण सा व्यक्ति, जो सरकारी सेवा में है, तो क्या उसकी अपनी मर्जी उसकी अपनी सोच नहीं हो सकती, क्या वो अपने चश्मे से अपने तरीके से अपनी बात नहीं कह सकता ? मज़ाक उड़ाने वाले बाज आयें !!

मेरी सोच आज भी कहती है नए लोक सभा मे अरुण जेटली / शाहनवाज़ हुसैन / सचिन पायलट / शरद यादव / रघुवंश प्रसाद सिंह / जतिन प्रसाद / मेधा पाटेकर /  सलमान खुरशिद / चरण दास महंत / नन्दन नीलेकनी जैसे लोगों को जरूर पहुँचना चाहिए था । मुझे तो केजरीवाल और स्मृति ईरानी भी लोक सभा मे चाहिए, बशर्ते वो कहीं और से लड़ते !!

अगर शरद यादव, पप्पू यादव से हारते हैं, तो ये लोकतन्त्र की मजबूती नहीं है ।
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देश ने आखिर नरेंद्र मोदी को सरकार चलाने की चुनौती दी है तो राहुल गांधी को राजनीति में अगर प्रासंगिक रहना है तो उन्हे भी संगठन को बचाने की चुनौती दी है ...........  !!

पर मेरी शुभकामनायें मेरे भारत को, जो भी अच्छा हो और सिर्फ अच्छा हो वो मेरे भारत के लिए हो, मेरी मिट्टी के लिए हो .............. !

Thursday, May 1, 2014

अजीब सी होती है मनुष्य के अंदर की गर्मी, बेवजह की ऊष्मा !! शावर के नीचे ठंडे पानी से अपने वजूद को लाख भिंगो दो, सारा ठंडा पानी शरीर से फिसल कर फर्श पर बिखरता चला जाएगा। अंदर तो जैसे एक सहारा मरुस्थल मिलों तक रेत की गरम सांस लेता महसूस होगा। एसी की ठंडी ब्रीज भी साँय साँय करती नीरवता को सुकून नहीं दे पाएगी । यहाँ तक की प्राकृतिक तारों भरा आसमान भी ऐसे लगेगा जैसे ढेरों हैलोजन बल्ब ताप बढ़ा रहे हों ।

पर ऐसे मे ही किसी की अनर्गल सी बातें भी भक्क से तापमान को दूध के पश्चुराइजेशन के तरह की स्थिति ला देती है, पल भर मे सब कुछ ठंडा ........... कूल कूल :)
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संवाद कायम रहे, ............. गर्मी बढ़ रही है :D