कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Friday, April 29, 2016

लघु प्रेम कथा 13

#लघुप्रेमकथा- 13
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एनएसयूआई द्वारा कॉलेज में आयोजित ब्लड डोनेशन कैंप !

पतले दुबले एनीमिक से विज्ञानं के एक छात्र ने भी जोश जोश में अपना नाम रजिस्टर किया ! आखिर इतनी सारी कॉलेज की लड़कियों से पीछे कैसे रहे !

धडकते दिल के साथ लम्बी झुकी हुई कुर्सी पर आँख बंद करके लेटा ही था कि

एक नर्स ने उसके बायीं बांह में टुर्निकेट (एक पतली प्लास्टिक की रस्सी) बाँधी ताकि नस उभर कर दिख जाए !

स्पर्श और सुगंध से चिंहुका - इस्सस !! इतनी खुबसूरत नर्स!! बेचारा उसके एप्रन व मुस्कराहट में ही खो गया! कहीं नर्स भी लिपिस्टिक लगाती है !!

कमीने हॉस्पिटल वालों और छात्र संघ वालों ने जानबूझ कर कॉलेज बॉयज का रक्त इकठ्ठा करने हेतु शायद खुबसुरती का सहारा लिया था !!

उफ़ ! उस सींकिया पहलवान की नस (वेन) भी नर्स की खुबसुरती में फड़क उठी !!

नर्स ने मोटी सी सुई चुभो दी !!

"उफ़! सिस्टर!!"

नहीं नहीं! सिस्टर कैसे कह सकता हूँ
दर्द को पीते हुए लड़का बुदबुदाया !
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एक बोतल खून निकल चुका था बिना किसी दर्द के!!


अब लड़का दूर रखे कुर्सी पर बैठ, ऑरेंज जूस पीते हुए निहार रहा था !! सिस्टर .... नही नहीं उसी नर्स को !!


अभिनव मीमांसा में रंजू भाटिया के कलम से हमिंग बर्ड





Monday, April 4, 2016

लघु प्रेम कथा - 12




देर रात, शायद अंतिम मेट्रो !
अनिमेष बैगपैक संभाले हलके थके क़दमों के साथ चढ़ता है!

आह, पूरा मेट्रो खाली बस दूर वाली सीट पर अकेली खुबसूरत भोली सी नवयुवती बैठी थी !

सधे क़दमों से गुनगुनाते हुए अनिमेष वहीँ पास पहुँच जाता है !

पल भर में होती हैं आँखे चार
एक जोड़ी खिलखिलाती हंसी व समय कटने लगता है !

गंतव्य के आने से पहले, नवयुवती पास आकर बिना कुछ कहें अनिमेष के बाहों में होती है

अनिमेष के लिए एक छोटा सा सफ़र ताजिंदगी याद रखने लायक लगता है !

मेट्रो के रुकते ही युवती स्माइल के साथ जा चुकी होती है !

धीरे-धीरे दरवाजा बंद हुआ, अनिमेष विस्सल करते हुए सेल पॉकेट से निकालना चाहता है !

इस्स्स्स्स्स्स!! सेल और वेलेट गायब हो चुका था!!
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एक बाहियात लप्रेक :-D
पर मेट्रो में 95% पकडे गये पॉकेटमार युवतियाँ ही होती हैं!!


तो सफ़र में अनिमेष न बनें :-D