कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Wednesday, November 16, 2016

लघु प्रेम कथा



संसद मार्ग एटीएम के सामने पंक्तिबद्ध लड़का जो करीब 300 लोगो के बाद खड़ा था, और उसके बाद फिर करीबन 200 लोग खड़े थे ! बेसब्री से बैंक के दरवाजे खुलने का सबों को इन्तजार था ! कोई गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी वाले चाय बाँट रहे थे, सभी लाइन में खड़े पकते लोगो के लिए !! :o
तभी उनसे एक चाय का कप लेकर एक लड़की उस लड़के को देते हुए बोली, कितना थक गए हो आप, लो चाय पियो :)
उफ़ इतनी लम्बी लाइन में सिर्फ वो :) , जिसको चाय पेश किया गया, वो भी एक खुबसूरत बाला द्वारा! चाय के पहले घूँट के साथ सारी थकान मिट चुकी थी ! दूसरी घूँट गटकते हुए निहार रहा था ...:)
लड़की ने फिर थोडा जोर से आवाज में दम लगा कर कहा - एक कप और लाऊं क्या ? साथ ही हलके से विस्पर करते हुए आँखों में नरमी लाते हुए बोली,
"प्लीज मेरा भी दो हजार का नोट बदल दोगे?"
चाय की मिठास में कडवी गोली सी लगी सुनते ही, क्योंकि पापा ने कहा था, आज चार हजार बदल कर ही आना, वर्ना मत आना !
पर लड़की के आँखों में अथाह प्रेम का आकाश दिख रहा था, जो हर दर्द को दूर दिखती खुशियों के वादियों तक ले जाना चाह रही थी ........!!
लड़के के कुछ कहने से पहले ही, लड़की ने फिर कहा, रहने दो, मैं एक कप चाय और लाती हूँ, ....मैं तो लाइन में लग जाउंगी !
इस्सस, ये इमोशनल अत्याचार ! पापा के गुस्से वाली नजर और ये प्रेम बरसाती नजर ! किस तरफ जाए !!
चाहते न चाहते, पता भी नहीं चला, वो दो हजार का नोट पकड़ चुका था, और लड़की प्रेम सिक्त आँखों से कृतज्ञ नजरों के साथ निहार रही थी !
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कुछ अदलाबदली पिंक इफेक्ट ला चुका था :D, बेशक पापा से पिटने या डांट खाने का दर्द कैसे भूले, ये सोच रहा था :)
लड़के ने लड़की को पिंकी (वही गुलाबी दो हजारी नोट) दी, बदले में लड़की ने अपना मोबाइल न. और फिर अगले सप्ताह रीगल पर मिलने का वादा :)

प्रेम व ख़ुशी संक्रामक है :)

Friday, November 11, 2016

500 का नोट और प्रेम




सुनो
पिछले बार, याद है न
कैफे कॉफी डे के काउंटर पर
मैंने निकला था 500 का कड़क नोट
लेना था केपेचिनों का दो लार्ज कप

वो बात थी दीगर
कि, पे किया था तुमने
जिससे
थोड़ी असमंजस व संकोच की स्थिति के साथ
फिर से डाल लिया था, पर्स के कोने में
अकेला नोट पांच सौ का !

उस पल लगा था अच्छा,
चलो बच गए पैसे !!
प्यार और प्यार पर खर्च
क्यों होते हैं बातें दीगर

आखिर खाली पॉकेट के साथ भी तो
चाहिए थी
प्यार व साथ

सुनो
पर वही 500 का नोट
सहेजा हुआ है पर्स में
तुम्हारे दिए गुलाब के कुछ पंखुड़ियों के साथ
क्योंकि तुमने काउंटर से जब उठाया था
कि पे मैं करुँगी
तो तुम्हारे हाथों के स्पर्श से सुवासित
वो ख़ास नोट
हो गयी थी अहम्

सुनो
शायद तुम्हारी अहमियत पर भी लग चुका है पहरा
तभी तो
अब तक सहेजा हुआ था वो ख़ास नोट
कल ही बदल कर ले आया
सौ सौ के पांच कड़क नोट

सुनो
चलें चाय के ढाबे पर
दो कटिंग चाय आर्डर करूँगा
उसी सौ के नोट के साथ

कल मिलोगी न !!
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:) :) :)

लालित्य ललित के साथ