कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Friday, March 27, 2020

जिंदगी, कोरोना के भय में

जिंदगी कितनी कमीनी है, कितनी डरी हुई है और कितना परेशान करती है। देर रात, गले में पता नहीं क्या अटका, एक हल्का सा दर्द पूरे शरीर को सिहराने के लिए काफी था। फिर तो सारा दिमाग अगले क्षण से लेकर अगले बरसो तक का खाका खींचते चला गया, जिसमें हम नहीं थे व दुनिया बेनूर हो चुकी थी। ऐसे में बेहतर है बेवजह ही सही प्रेम, रोमांस, बेवजह वाली कविताएँ, लोटपोट, चंपक, चाचा चौधरी में ही मन खपायें। तो बस .....

देर अंधेरी रात, जब हवाएं भी बह-बहा कर ठंडी होने लगी थी, प्रेम और जिंदगी के मिक्स वेज जैसे सपनों के साथ एक गहरी नींद ले चुका था, कि सपने में ही किसी रोमांटिसिज्म से भरी कविता को सुनते हुए ऐसे लगा जैसे किसी ने कहा - सुनो! और बस अंधेरे में टुकुर टुकुर ताकने लगे 😊 । अब आँखों ने भी हड़ताल घोषित करते हुए कहा - नहीं सोना तो नहीं सोना, जो करना है कर लो। 😊

सपनो में खुश रहना हो तो मुझ से मिलें ;)
वर्ना सफलता के मन्त्र वाचने वाले अनगिनत मिलेंगे :P

नींद कोसो दूर जाकर ठिठकते हुए बाय कर रही थी, हल्की-हल्की ठंड, कहीं दूर से कुत्ते के कुंकने की आवाज़, पुलिस के सायरन और फिर एक-दो कार की बेवजह की आवाजें,  इत्ती रात को भी कहाँ चैन मिलता है किसी को | 😊

साला इन सबके बीच सोच की बत्ती भी भक्क से बुझ जाती है और फिर अंदर-बाहर हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा ! लग रहा था जैसे ब्लैक होल की यात्रा पर कोई अन्तरिक्ष यात्री आया हो । मन कहता है - क्या करें क्या न करें कि ऐसी मुश्किल हाय, कोई तो बताये इसका हल हो मेरे भाय 😊

ऐसे में, अपने घर में ही चोरों की तरह उठो, किचेन का दरवाजा हौले से खोल कर काफी मग मे भर कर काली चाय बनाई जाय (आखिर कौन दूध ढूँढे), गैस लायटर की पिट की आवाज भी ऐसे लगी जैसे अंजू को बता रही हो, देखो भाभी साहब चुपके से चाय बना रहे :) ।  दरवाजे की खटक ऐसी लगी जैसे सच्ची में वो ही निहारी, चिंहुकते हुए फिर धीरे से बालकनी में आकार चाय के सिप के साथ दूर दिख रही सप्त ऋषि तारे के समूह को निहारा रहा था तो.....? पर बालकनी पहुंचने के समय फिर से दिमाग ने कोरोना की ओर गुलाटी मारी और चुपचाप लौट आये 😊

चाय सुड़कते हुए फिर स्कूल/कॉलेज के सात लम्पट और प्यारे दोस्त याद आ गए!! साले कितने कमीने थे, और मैं ........... महा................ :D :) :P मर खप गए होंगे साले :) और क्या, जब याद नहीं करते तो गालियाँ ही देनी होंगी !

गर बचे हुए होंगे, तो पुलिस प्रशासन से निवेदन है कि मेरे ये कमीने दोस्त कहीं दिखें तो 4 की जगह 6 लठ मारना और घर पहुंचा देना ! क्यूंकि जान है तो जहान है व मेरे दोस्त मुझे बहुत प्यारे हैं 🥰 ... है न !!!

हल्की मुस्कुराह्ते सहेजे, छत की ओर गया, तो वहां गमलों के पेड़ों के बीच लगा कोई हाई लेवल मीटिंग चल रही हो, और मैंने वहां पहुँच कर उनके तारतम्य को तोड़ा था ! सुबह कौन सी कली खिलखिलाएगी, कौन सा पत्ता चटख हरे रंग में लहराएगा, हवाओं में कितना स्नेह घोला जाएगा आदि आदि।

महसूस हुआ जैसे करोटन के पौधे ने कहा हो - अच्छा मुक्कू बाबू अकेले अकेले चाय, हमें तो बस सड़ी हुई चाय पत्तियां डाल जाते ही, खूब मजे हैं आपके तो ....... !! अंधेरे में गेंदे/डालियां के मुस्काते फूल भी बस मटकियां मारने लगे। 😊

हमें भी लगा, चलो इसके साथ ही बतियाएं, कुछ मैं कहूँ कुछ वो कहे | कलरफुल करोटन के साथ रंगीन गलाब में रंग बिरंगी फ्रॉक पहने वो ही तो नहीं जो छमक कर बस मेरी खिंचाई में लग गयी हो । होगी जरूर वही होगी, उसका हमें शब्दों से पटकने की अदा भी तो दिल गुलाबी करने वाली ही होती थी।

अंततः पौधों का सान्निध्य ऐसा जैसे लाल दुपट्टा हो मल मल का या हरा आँचल दूर तक फैलाये मुस्कुराहट या फिर साथ में मेरा खडूसपन ............सबके साथ कुछ घंटे बीत चुके थे और चाय भी उदरस्थ हो चुका था, फिर से काली रेटिना पलकों के अंदर से बोली, चलो यार कुछ देर खवाबों की दुनिया में चलें ..........! भोर निकलने ही वाली है :)

किसी ने कहा कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं, कड़ी मेह्नत करते हैं :)

मुझे या तो नींद गहरी आती है तो सपने में अकादमी पुरस्कार ले चुका होता हूँ या फिर नींद नहीं आती तो बस ऐसे ही बात जोहते हुए हुए बतियाता हूँ, कॉफी/चाय के सिप लेता हूँ और तो और चांद सितारे निहारते हुए अपने लिए आसमान का टुकड़ा भी रजिस्ट्री करवा लेता हूँ, ताकि मरने के बाद किसी खास जगह से टिमटिमाते हुए सबपर नजर रखूं 😊

तो बेशक मर जाऊं, मुझे मरने से पहले वाला कुछ घण्टा सबसे अधिक परेशान करता है। इसलिये जीने की ही कोशिश करते हैं। आप लोग भी जीने की जिजीविषा को समेटे रहना। ...है न!! 😊

दुआएँ !💐

~मुकेश!~

Friday, March 6, 2020

लाल फ्रॉक वाली लड़की की समीक्षा - बबली सिन्हा




"लाल फ्राक वाली लड़की" ( पुस्तक)
लेखक- मुकेश कुमार सिन्हा

हां ! यही नाम है प्रेम के हर उस एहसास का जिसे कहीं न कहीं अपने उम्र के दौर में कुछ पल के लिए ही सही पर जीते हम सभी हैं

जी हाँ ! कुछ ऐसी ही है लाल "फ्राक वाली लड़की" नादान मन की भोली ख्वाइश कच्चे पक्के जज्बातों की गठरी जिसकी गिरह पन्ना दर पन्ना जैसे जैसे खुलता है, मन का सुकून एकबार फिर से बीते पलों को जीता चला जाता है

वाकई ! साहित्यिक क्षेत्र में अपने बेहतरीन कविताओं के बल पे एक नई सख्सियत पहचान बनाने वाले मुकेश कुमार सिन्हा जी जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा नया होगा जो इन्हें नहीं जानता होगा, इनकी पहली पुस्तक" हमिंग बर्ड"

मानवीय संवेदनाओं की खुली किताब बनकर हम  पाठकों के सामने आई, जिसे पढ़कर मन ही नहीं बल्कि आत्मा भी भावनाओं से भर उठी,और  जिसे जितनी बार भी पढ़ो हर बार उतनी ही मार्मिकता के एहसास जीवंत कर देती है
इसे पढ़ते हुए पाठक कभी रोता है तो कभी हँस भी पड़ता है, कविता के शब्द-शब्द मानो पाठकों को अंत तक भावनाओं के जरिए अपने में बाँधे रखता है, यही "हमिंग बर्ड" की सफलता का राज है जो हर पाठक की जुवां पे आज भी मचलता है

कुछ ऐसी ही "लाल फ्राक वाली लड़की"

जाड़े की गुनगुनी धूप सी छोटी-छोटी लघु प्रेम कथाओं में वर्णित सुर्ख लाल गुलाबी रंगत लिए प्रेम की सुनहरी चंचल कथाएं❤
सच, इसे पढ़ना शुरू करना अपने हांथ में है पर छोड़ना अपने बस में नहीं ज्यो-ज्यो आप कहानी का आनन्द लेते है त्यों-त्यों और आगे और आगे... पढ़ने की लालसा बढ़ती चली जाती है, पाठकों का यही उतावलावन लेखक को पूर्ण करता है

"लाल फ्राक वाली लड़की" (पुस्तक) इसका तत्कालीन उदारण है, हाल ही में "अंतराष्ट्रीय पुस्तक मेला" में विमोचन के पहले ही दिन इसकी हजारों प्रतियां पाठकों के नाम हुई, एक प्रति मेरी भी और उस पल की प्रत्यक्षदर्शी भी।
जी हां हर उम्र, हर वर्ग के लिए एक साफ-सुथरी बिल्कुल शाकाहारी टाइप पुस्तक जिसे आसानी से हजम किया जा सकता,आप भी पढ़िए यकीन है होठो पे एक खास मुस्कुराहट जरूर बिखर जाएगी....हाँ दोस्तों, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई यही तो तलाशता है एक छोटी सी हंसी
तो बस ! आपकी तलाश पूरी करेगी "लाल फ्राक वाली लड़की"💕

मेरे और मेरे तमाम फेसबुक मित्रों की ओर से एक खास कलाकृति के रचनाकार आदरणीय मुकेश कुमार सिन्हा जी को ढेरों  बधाई शुभकामनाएं💐💐

- बबली सिन्हा