कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Thursday, December 24, 2015

हम्मिंग बर्ड: मृदुला प्रधान व रश्मि प्रभा के शब्दों में

दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 का मंच, खुबसूरत  अभिनेत्रियों  के  साथ
१.
मुकेश कुमार सिन्हा की 'हमिंग बर्ड' आज ही मिली और एक बार जो खोली तो रुकने का मन ही नहीं किया……पूरा पढ़कर ही उठी . मिट्टी के ग्लास में जो कभी चाय मिल जाती है तो पहली घूँट भरते ही अनायास ही मुँह से निकलता है वाह! बस यही हुआ पहला पेज पढ़ते ही ……सरलता, सहजता और सरसता के आवरण में लिपटी हुई कवितायेँ बड़ी कोमलता के साथ मन तक पहुँचने की क्षमता रखती हैं. एक ओर कवि का '5 मिलीग्राम का छुटकू-सा 'मन'' है और दूसरी ओर 'बहुत-सी बेवजह की कविता ,ज़िंदगी के हर रूप की कविता' लिखने की ख़्वाहिश और इन सबके बीच सच्चाई और सहृदयता का हाथ थामे हुये उनका अदम्य उत्साह बार- बार सामने आ जाता है . मुकेश जी बोल-चाल की भाषा के स्वभाविक कवि हैं ,ललक है आगे बढ़ने की और कलम में बेहिसाब ताकत .......निश्चय ही आनेवाले समय में नई-नई ऊँचाईयों को छुयेंगे ,ऐसा मेरा विश्वास है.......शुभकामनाओं के साथ.......

- मृदुला प्रधान 


२. 
ओह ये हमिंग बर्ड !!!
मेरे घर आई 
चहचहाई 
पढ़ने बैठूँ 
उससे पहले तबियत खराब हुई !
खाँसी, बीपी,बुखार …
सब हो गए हैं बिग बॉस के आर्टिस्ट
smile emoticon - एकदम पुनीत इस्सर
हिम्मत देखो इस चिड़िया की
चहचहाए जा रही है
इस कमरे से उस कमरे
मुकेश की लगन की उड़ान भर रही है
कह रही है,
अमां यह तो बस शुरुआत है 


-  रश्मि  प्रभा 
दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 का मंच, पोएट ऑफ़ द इयर का अवार्ड लेते हुए
 

Thursday, December 10, 2015

चौथा दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015


कल 10.12.2015 को कनाट प्लेस के पास जंतर मंतर के  सामने NDMC के खचाखच भरे कन्वेंशन सेंटर में चौथे दिल्ली इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल 2015 (DIFF 2015) का "पोएट ऑफ़ द इयर/इंडिया" का अवार्ड मिला !

कल सुबह तक कुछ भी नही पता था !
चूँकि मैंने इन्हें अपनी कवितायेँ भेज रखी थी और उनमे से एक उनकी ऑफिशियल  साइट पर चयनित हो कर पोस्ट भी हो रखी थी और ये हर बार एक कविता गोष्ठी भी करते थे तो मैंने कई बार इनके अध्यक्ष/संयोजक Parcha​ जी को फोन कर ये जानने की कोशिश की कि गोष्ठी कब है, पर बहुत ठंडा रेसपोंस मिला | कल सुबह मेसेज मिला "आज दो बजे आइये और कोट पहन कर आइयेगा" !

मुझे लगा कविता पढ़ने बुला रहे, मैंने अपने 2-4 मित्रों को गोष्ठी के लिए कह भी दिया लेकिन पहुँचने पर अनुभव हुआ कविता गोष्ठी थी ही नही अवार्ड वितरण समरोह था !

इंटरनेशनल फ़िल्म फ्रेटर्निटी के ढेरों लोग जमा थे | इजिप्ट, रूस, बुल्गारिया, अफगानिस्तान, इजरायल आदि के अम्बेसडर व एम्बेसी के लोग तथा तथा बेहद खूबसूरत कलाकारों की रौनक से पूरा सभागार चमक  रहा था ! अजीब सा पॉश माहौल था !

इस बीच सबसे शुरूआती अवार्ड पोएट्स के लिए थे और इसके दो श्रेणी थे - इंडिया तथा एनआरआई !!

एनआरआई श्रेणी में ये पुरस्कार दुबई से आई Pallavi Srivastava​ को मिला और फिर भारत के श्रेणी में मेरा नाम पुकारा जाना आश्चर्यचकित करने वाला था !

सब कुछ आश्चर्यजनक ढंग से हुआ ! हिंदी से बाहर की दुनिया में हिंदी के लिए पुरस्कार पाना कहीं अंदर तक गर्व का अनुभव दे रहा था !

DIFF 2015 का आयोजन द सोशल सर्किल ने दिल्ली सरकार और एन डी एम सी की सहयोग से किया जिसका उद्घाटन 5 दिसंबर को माननीय उपमुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने सेंट्रल पार्क, सीपी में किया था !

इंटरनेशनल फ़िल्म फ्रेटर्निटी के सामने अवार्ड लेना बता नही सकता कैसा लगा ! "टॉप ऑफ़ द वर्ल्ड" की फीलिंग क्या होती है उस समय तालियों की गड़गड़ाहट बता रही थी :-)

ये साईट का लिंक रहा: दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015