कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Thursday, March 17, 2016

लघु प्रेम कथा - 11


कॉलेज के दिनों में कितने थेथर होते थे दोस्त !!
साले!! चेहरा देखकर व आवाज की लय सुनकर भांप जाते थे ! कुछ तो पंगे हैं !!

क्या हुआ? काहें मुंह लटकाए हुए हो रे !!
चाय के लिए नही पूछी क्या??
ओह तुम तो उसके साथ सिनेमा जाने वाले थे न!!
"लव  86" ..... ओ मिस !! मिस !! :-D
ओह हो !! बाबू को टिकट नही मिला !! बेचारा !!
बेवकूफ!! हमको बुला लेते, कैसे भी घुसवा ही देते हाल में !!
चल अब, बुरबक जइसन मुंह मत बनाओ !

अगले शुक्रवार को पहला शो मेरे तरफ से बालकोनी का, तुम दोनों के लिए !!
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साला ! एक पैसे की औकात नही, पर साथ खड़े रहते ! अम्बानी जैसे फीलिंग भर देते थे !!

मंजीत कनक व्यास के  हाथों  में  हमिंग बर्ड

Tuesday, March 1, 2016

लघु प्रेम कथा - 10


माचिस की तीली सररर्र !!
एक हलकी सी सांस ली अन्दर और बस सुलग गयी, होंठों से लगी, क्लासिक माइल्ड किंग साइज़ !!
जीरो वाट के जलते बल्ब को देखते हुए लड़के ने सांस छोड़ी तो धुएं को बल्ब की और रास्ता बनाते देखा!!
आड़ी तिरछी आकृतियाँ उभरी, कुछ काले मेघ जैसी , तो कुछ अनाम प्रिय या प्रियतमा जैसी !!
अरे कहीं वही तो नहीं !! मोटी!!!!
एक मन हुआ सारा धुंआ अन्दर ले लूं ! इसी बहाने वो भी अन्दर ही बस जायेगी, बेशक सिगरेट के धुंए के साथ ही सही !!
पर डब्बी पर नजर पड़ी तत्क्षण!!
स्मोकिंग इज इंजुरीयस टू हेल्थ!!
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तभी तो वो दूर है न !!
आखिर बेहतरी इसी में है !! - अजीब से ख्याल के साथ इस बार धुएं का छल्ला बनाया लड़के ने !!!


मेरे सपनो की सवारी है :-D