कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Friday, September 30, 2016

लघु प्रेम कथा

लघु प्रेम कथा
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कॉलेज के उसी खास दरख़्त के नीचे लीजर पीरियड में समय काटते हुए लड़के ने अपने दिमाग में प्रेम व विज्ञान के घालमेल के साथ बोला - ओये ! अच्छा ये बताओ दो हाइड्रोजन एटम एक ऑक्सीजन के एटम के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया कर H2O यानि जल में परिवर्तित हो जाता है,
तो वैसे ही मान लो कि तुम ऑक्सीजन हो और मैं एक हाइड्रोजन !!
अब बड़ा प्रश्न ये है कि ये साला दूसरा हाइड्रोजन कौन है ??? ;)

बेवकूफ वो देख, कॉलेज गेट पर सायकल टायर पेंचर बनाने वाला गठीला सांवला नौजवान! क्या ख्याल है उसे दूसरा हाइड्रोजन समझने में - लड़की इतराते हुए मुस्कायी ^_^

हुंह !!
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लड़के ने फिर से बकैती की - अगर इन एटम्स ने लिंग परिवर्तन कर लिया !!
ऐसे सोच कि मैं वो एक ऑक्सिजन और तू एक हाइड्रोजन तो दूसरी हाइड्रोजन कौन ? :P

तब बेटा, दुनिया में पानी ही नही होता ! क्योंकि तुममे ऐसा आकर्षण कहाँ की दूसरा हाइड्रोजन रूपी लड़की चिपके ! बड़ा आया कैमिकल रिएक्शन वाला ;)

दोनों कॉलेज कैंटीन चल पड़े पानी से बनी चाय पीने ;)

100 कदम मेरे द्वारा सह सम्पादित, प्रतिभागी रचनाकार रिया हरप्रीत के हाथो में

Monday, September 5, 2016

शिक्षक दिवस




एक राय सर थे, हाई स्कूल के जमाने में ! कितना प्यारा स्कूल था - श्री सीता राम राय उच्च विद्यालय :) अजब घालमेल था उनके सब्जेक्ट में, एक तरफ तो इतिहास पढ़ाते थे, दुसरे तरफ स्पोर्ट्स भी उनके पास था, मने कोई भी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी हो तो उनके पास होगा !! खासियत ये थी कि किस बच्चे को पीटना है, ये वो पहले से डिसाइड कर के आते थे, कितना भी रट लो, अख़बर-बीरबल-नूरजहाँ-कबीर पूछने का अंदाज ही ऐसा था कि बच्चा सुसु कर दे ! मान लो हमने सही जबाब दिया, तो एक दम कड़क कर काउंटर क्वेश्चन - क्या ये सही है ? ये होगा? और फिर सिटपिटाते ही तरतरतर.....:) या फिर दो ऊँगली के बीच पेंसिल/पेन रख कर कच्च से दबा देते थे, हाय हो :D हाँ तो एक बार जिला स्तरीय क्विज में जाना था उनके साथ, और प्रशासन का आदेश एक लड़का/एक लड़की पेयर में होगा, थी हमरी पेयर भी थोड़ी ज्यादा सी अनगढ़ खुबसूरत, थोड़ी गंवार ! स्कूल भी तो उतना ही ख़ास था, को-एजुकेशन होने के बावजूद लड़के लड़कियों के बीच मैकमोहन लाइन खिंची रहती थी ! जाने से पहले ढेरों लड़कों का वाण चला- साले जीत के तो नहीये आएगा, पर तुमको विन्नर का अवार्ड तो साथ में स्कूले से मिल गया :) वो थी गुडगोबर, और हम भी तीसमार खान तो थे नहीं, पर विसुअल राउंड और टिपिकल प्रश्नों पर बेहद कमांड था ! बेमतलब वाले प्रश्नों का जबाव फट से निकल जाता ! वैसे उसने भी सभी मुग़ल बादशाह और विटामिन सिटामिन रट्टा लगाया था! जैसे तैसे फ़ाइनल राउंड में पहुंचे :) राय सर चिहुँकते हुए आये, मुक्कू, चलो तुम दोनों को समोसा खिलाते हैं :) सर पेट भरल है - वो बेवकूफ स्टाइल मारी हमने चुप्पे से कहा- अरे बेवकूफ, क्यों इन समोसों पर भी अपनी नजर लगा रही हो, सरकारी है............तुम चुपके से हमको दे देना, नहीं खाना है तो !! अंततः विनर तो नहीं हुए, पर गलती सही, सभी ग्रामीण स्कूलों से ही पहुंचे थे, तो बस गलती से ही सही रनर बन कर लौटे वहां से निकलने पर सर ने पांच रुपया ऐसे पकडाया जैसे घर से दे रहे हों ऊपर से आदेश इसको साथ ले जाओ घर तक :) _____________________ हमें तो मजनू, फरहाद, रोमियो जैसी फीलिंग आ गयी, पर बचपन का वो डर - घर पहुंचाने के दरम्यान बस कहे - तुम सुन्दर हो ! बकलोल :D उसने कहा - तुमरे कारण जीते, नहीं तो मुंह में खरोंच मारते, बाघिन जैसन :) राय सर जिंदाबाद का नारा दुसरे दिन स्कूल में लगा था :D और उसके बाद, इतिहास में कभी छड़ी भी नहीं पड़ी :) सर को याद करते हुए सबको शुभकामनायें :) :)

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