कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Tuesday, May 19, 2015

लता रूचि ओझा के शब्दों में हमिंग बर्ड



'गुलमोहर ' से सजी 'पगडंडियां ' पार करती ' कस्तूरी ' सी महकती अनगिनत भाव भरी कविताओं को लिए हम्म करती 'हमिंग बर्ड ' आ गयी। 

अक्सर हम जिनका लिखा रोज़ पढ़ते हैं ,और अगर वो दोस्त हों तो उनको हम उतनी गंभीरता से नहीं लेते जितना प्रसिध्द ,स्थापित और चर्चित रचनाकारों को। कुछ ऐसी ही भूल मुझसे भी होती रहती है शायद इसीलिए मुकेश कुमार सिन्हा जी को भी बस अच्छा लिखने वालों की श्रेणि में समझती रही और ऐसा शायद भविष्य में भी रहता अगर 'हमिंग बर्ड ' न पढ़ती।बहुत ही अच्छा लिखते हैं ये हमिंग बर्ड ने बताया .

जीवन के अनेकों रंगों से सजी हुई कविताओं का संग्रह है ये 'हमिंग बर्ड ' . इसकी हम्म्म्म्म में बहुत से विचारणीय प्रश्न और अनगिनत प्रश्नों के सहज उत्तर भी निहित हैं। मैंने पढ़ी और आप सभी जिन्होंने नहीं पढ़ी हैं मुकेश जी की रचनाएँ उनसे ज़रूर कहना चाहती हूँ पढ़िए और मुझे पूर्ण विश्वास है आप भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे।
हमिंग बर्ड है ही ऐसी। मुकेश कुमार सिन्हा जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएं। आपकी हमिंग बर्ड की हम्म्म्म दूर दूर तक गूंजे और ऊंची हो इसकी उड़ान


- लता रूचि ओझा, भोपाल 

Tuesday, May 5, 2015

लघु प्रेम कथा - 7


सुनो !
मुझे तुमसे प्यार है, लव यू, लव यू, लव यू !!

धत्त यार!! प्यार व्यार कुछ नहीं ! ओनली फ्रेंडशिप समझे न बुद्धू !!

क्यों? अरे, हद है न!!  मेरा दिल तुम्हे चाहने लगा है, मेरी क्या गलती !!

न न ! ! माँ ने कॉलेज पढने भेजा है, प्यार करने नहीं !! चुप रहो तुम !!

चलो छोडो, बेवकूफ !! चलो चाय पियोगी, कैंटीन में? बिल मैं पेय कर दूंगा, बस तुम "लव यू" कह देना !!

हुंह!! माय फूट, तुम पीटोगे, तभी चैन आएगा !! चुप चाप चाय आर्डर करो !

कैंटीन में अब दोनों कोने वाले टेबल के एक ही और बैठ कर चाय पी रहे थे, एक ने चाय का ग्लास बाएं हाथ से पकड़ा था, दुसरे ने दायें हाथ से !!

दोनों ने एक दुसरे का हाथ थामा हुआ था !!
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कालांतर में दोनों अलग अलग विवाहित हुए !!

दो जोड़ी, अलग अलग सफल दाम्पत्य जीवन बिताते हुए  ............!!