'गुलमोहर ' से सजी 'पगडंडियां ' पार करती ' कस्तूरी ' सी महकती अनगिनत भाव भरी कविताओं को लिए हम्म करती 'हमिंग बर्ड ' आ गयी।
अक्सर हम जिनका लिखा रोज़ पढ़ते हैं ,और अगर वो दोस्त हों तो उनको हम उतनी गंभीरता से नहीं लेते जितना प्रसिध्द ,स्थापित और चर्चित रचनाकारों को। कुछ ऐसी ही भूल मुझसे भी होती रहती है शायद इसीलिए मुकेश कुमार सिन्हा जी को भी बस अच्छा लिखने वालों की श्रेणि में समझती रही और ऐसा शायद भविष्य में भी रहता अगर 'हमिंग बर्ड ' न पढ़ती।बहुत ही अच्छा लिखते हैं ये हमिंग बर्ड ने बताया .
जीवन के अनेकों रंगों से सजी हुई कविताओं का संग्रह है ये 'हमिंग बर्ड ' . इसकी हम्म्म्म्म में बहुत से विचारणीय प्रश्न और अनगिनत प्रश्नों के सहज उत्तर भी निहित हैं। मैंने पढ़ी और आप सभी जिन्होंने नहीं पढ़ी हैं मुकेश जी की रचनाएँ उनसे ज़रूर कहना चाहती हूँ पढ़िए और मुझे पूर्ण विश्वास है आप भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे।
हमिंग बर्ड है ही ऐसी। मुकेश कुमार सिन्हा जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएं। आपकी हमिंग बर्ड की हम्म्म्म दूर दूर तक गूंजे और ऊंची हो इसकी उड़ान
- लता रूचि ओझा, भोपाल