कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Saturday, June 16, 2012

"कितना अच्छा होता जो मानवीय भावनाओं को स्थूल रूप दिया जा सके | पागलपन की गोलियां बने - जो खोले, वही साहित्यकार | प्रेम की टिकिया हो, जिसे दे दो वही रात के तारे गिने | कविता का भी पाउडर बाजार में बिका करे | तब तो हम हर मित्र को यही उपहार में भेजा करें | कविता की पुडिया पानी के साथ खाओ और फिर छंद लिखो ...............:))"