इधर
पांच महीनो में बहुत सी किताबें अनगिन पत्र पत्रिकाएं इकट्ठी हैं / कुछ पारिवारिक
समस्याओं की वजह से पढ़ नही सकी / अभी कल से शुरुआत की तो मन हुआ कि हमिंग बर्ड से
शुरुआत करूँ.. ..
Mukesh Kumar Sinha का कविता संग्रह 'हमिंग बर्ड' जिसमे मन की छटपटाहट/मनुष्य मन के संघर्ष/ और
मानवीय एहसास से लबरेज है ! और इसमें समाहित है संजीदगी / चुहल/ प्रेम और निष्ठा
से भरा पूरा एक संसार !
इस पुस्तक को पढ़ना सुखद है ..क्यूंकि मेरे मन
मस्तिक पर घोसला बना लिया हमिंग बर्ड ने ...
मुकेश जी का साहित्य संसार विस्तृत हो.अनेकानेक
शुभकामनाये..!
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