प्रतिलिपि (pratilipi.com) ने मेरे कुछ कविताओं को ई-बुक का शकल दिया, और इसमें मेरे मित्र वीणा वत्सल सिंह का पूर्ण सहयोग रहा !!
उम्मीद रखूँगा आपके नजरों से गुजरें, आप मेरे कविताओं को सराहें या आलोचना करें, पर प्रतिलिपि के संपादक मंडल को सिर्फ शुक्रिया ही कह पाएंगे, ऐसा मुझे लगता है !! एक बेहतरीन प्रयास !!
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आपका कमेन्ट हमें व प्रतिलिप टीम को संबल प्रदान करेगा !!
बहुत बधाई इस सुन्दर प्रयास पर ..
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