कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Wednesday, July 15, 2020

ऋषभ : मेरा बेटा



मुझे स्वयं से अत्यधिक नाराजगी की एक वजह ये दिखती है कि यश-ऋषभ पर उनके बचपन में मैंने उनपर हाथ चलाये। शायद इसका कारण मेरे अंदर तथाकथित गुस्से वाले पापा का बैठा होना था, साथ ही अत्यधिक उम्मीदों की गठरी भी, इनके सर पर रखना भी था । पर समय के बदलते रुख के साथ व फेसबुक पर ही अन्य पैरेंटिंग टिप्स ने मुझमे इस नजरिए से, अत्यधिक बदलाव आया। कुछ बरसों बाद से ही, कभी कान मरोड़ना भी हो तो ये काम अंजू का होता है । बदलते समय और अनेकों उदाहरण ने ये भी विश्वास दिलाया कि बच्चे जो मन से करेंगे वो ही बेहतरीन होगा और अब के बच्चे अपने भविष्य के लिए ज्यादा सजग हैं। बस इस विश्वास को दोनों ने बनाये रखने की कोशिश की, इतना देखना ही सबसे सुखद होता है। हर बच्चे का टैलेंट एकदम जुदा है, यश को कम नम्बर आते हैं पर उसको शानदार खेलते देख कर किसी मित्र ने कहा जो शानदार स्पोर्ट्समैन है, वो कमजोर या लल्लू हो ही नहीं सकता। बस मेरे नजरिये में वो बेस्टेस्ट हो गया।

ऋषभ एक दम अलहदा है, जो करेगा पागलपन के हद तक करेगा। एक बार यश को शानदार टीटी के लिए स्कूल में शाबाशी मिलते देख इसको धुन चढ़ गया कि शायद पढ़ाई से बेहतर टीटी है, और बस क्लासेज बंक कर उसके समय टीटी टेबल पर लगने लगे। फिर स्कूल के नंबर 1 और 2 यश-ऋषभ हो गए।

मैंने इन्हें स्कूल के अलावा कभी ट्यूशन का ऑप्शन ही नहीं दिया। और इसके वजह के रूप में इनको अपनी पे-स्लीप दिखाता रहा और बजट बताता रहा। मैंने अपने जिंदगी से जाना है कि कमियां जरूरी ही होती है, क्योंकि चैन लेने नहीं देती। हां पिछले कई वर्षों से मेरिटनेशन के ऑनलाइन क्लासेज के लिए रजिस्ट्रेशन जरूर करवा देता था ताकि कुछ जरूरी सब्जेक्टिव if-buts क्लीयर होते रहे। एक और वजह ये थी कि दोनो एक ही क्लास में टेंथ तक थे, तो एक के ही रजिस्ट्रेशन से दोनो का काम हो जाता था। दोनो ने टेंथ का हर्डल पार किया।

बेहद अच्छे नम्बरों से ऋषभ ने ग्यारहवीं में कदम रखा था। पर मेरे दिमाग में ये समझ नहीं आई थी कि JEE इंजीनियरिंग के लिए किसी अच्छे इंस्टीटूट में दाखिला जरूरी है। वो तो साल बीत जाने पर भाग्य चमका जो जनवरी 2019 में स्कूल के फिजिक्स टीचर ने नारायणा इंस्टिट्यूट के टीचर को मेरे घर भेजा और एक वर्ष के फीस में 60% की छूट की पेशकश की।

हम सरकारी बाबू की फितरत है कि डिस्काउंट में कुछ मिले तो दिमाग चौंधियाने लगता है। फिर ये नहीं सोचे कि 40% फीस भी कम नहीं है, बल्कि 60% जो राशि नहीं देनी पड़ी उसने आकर्षित कर लिया। पर इस एडमिशन ने भी मुझमे कोई खास उम्मीद नहीं बनाई थी । हां मैडम के दिमाग मे कुछ ज्यादा चलने लगा, इसने अपनी 15 वर्ष पुरानी नौकरी झटके में छोड़ दी, जबकि बजट के अब लड़खड़ाने की बारी थी। लेकिन वो अडिग रही। अब फुल टाइमर गार्जियन घर में होता था, जबकि दोनो ने पूरी जिंदगी क्रेच में गुजारी थी।

समय बढ़ा, और ऋषभ में बदलाव ऐसा था कि स्टूडेंट लाइफ में मुकेश जितने घण्टे पढ़ता था, उसका तीन गुना वो पढ़ने लगा। पूरी-पूरी रात लगातार की पढ़ाई के उसके बदलाव में हम सबकी उम्मीदें कुछ चमकी। पर जो सिलेबस दो साल का था, उसको एक वर्ष में करना, इतना हल्का भी नहीं था। नारायणा के टीचर ने कहा था - सर आपने गलती की जो पहले एडमिशन नहीं दिलवाया,और मुझे तब लगा शायद अपने तरह वाला स्नातक बेटा ही बना पाऊंगा। हर वीक टेस्ट के मार्क्स SMS आते जो 15-20% होते जो धीरे धीरे बढ़कर 40% तक गए। फिर PTM में इंस्टिट्यूट के टीचर ने चुपके से बताया अगर ये 40% 55+ तक जाए तो खुश हो जाना। JEE एंट्रेंस और 12वीं दोनो ही साथ करना, कम तो नहीं ही था।

जनवरी में JEE Mains का पहला एग्जाम हुआ और लड़के ने छक्का तो नहीं मारा पर जो आया वो उसके माथे को चूमने के लिए उपयुक्त था। एक औसत लड़के ने 97 परसेंटाइल लाकर चकित किया और इस तरह JEE एडवांस के परीक्षा में बैठने के लिए अहर्ता प्राप्त कर ली, पर मेरे अंदर का बेवकुफ बाप इसलिए परेशान होगया क्योंकि पता चला 12वीं में जब 75% मार्क्स होंगे तभी JEE क्लीयर होना कहलाता है। धुकधुकी तो जिंदगी भर की बात है । मेंस के बाद वो एडवांस की तैयारी ज्यादा करता और मैं बस उससे डेली पूछता - 12वीं में 75% आ जाएंगे न।

खैर, JEE Mains का दूसरा ऑप्शन और Advance का exam date तो अब ऐसे बढते जा रहा है कि पता ही नहीं चल रहा कि भविष्य में क्या छिपा है।

कल जब 12वीं का रिजल्ट निकालने के क्रम में CBSE की वेबसाइट क्रेश हो रही थी, तो सांसे मेरी थम जा रही थी। अंततः घण्टों भर बाद जब रिजल्ट निकला तो मैंने सबसे पहले जोड़कर देखा कि 75% तो है न।

अत्यधिक समय विज्ञान और गणित में इन्वॉल्व रहने के कारण और 12वीं में 5th सब्जेक्ट अर्थशास्त्र से फिजिकल एडुकेशन करने के वजह से इनमें ही कम आ गए पर विज्ञान जिंदाबाद ने ऐसा नारा लगाया कि स्कूल के पहली पंक्ति का छात्र ही रहा। फिजिक्स केमिस्ट्री टॉपर इन स्कूल।

अभी भी अनेक तरह की दिक्कतें हैं, अब तक पता नहीं कि कब एडवांस का एग्जाम होगा, कौन सा इंजीनियरिंग कॉलेज मिलेगा, कैसे क्या करना है, पर खुशियां इन कठिन वजहों के बीच से मुस्कुरा रही है।

आप सबका स्नेह जरूर मुस्कुराहट से भरे होंठ को लंबी करेगा । .... है न।।

~मुकेश~
(तस्वीर 12वीं के अंतिम परीक्षा के बाद वाले दिन की है, जब वो अकेले पहली बार अपने दोस्त के साथ घूमने गया)


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