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अलका शर्मा जी |
मुकेश कुमार सिन्हा का कविता संग्रह हमिंग बर्ड एक आम इंसान केमन की पीडा,कसक और विद्रोह की प्रभावशाली अभि व्यक्ति है।समाज में घटितविसंगतियों पर इंसान की महत्वाकांक्षाओं पर,अपने चारों तरफ घटित घटनाओं पर पैनी नजर और कभीअपनी ही अनदेखी पर विक्षोभ होना लगता है कि जैसे हमिंग बर्ड सुदूर आकाश मेंउडान भरती हुई जीवन की हर छोटी बडी घटना पर उद्वेलित हा कवि के ह्रदय को आलोडित कर मजबूर कर देती है कि वो कभी डस्टबिन तो कभी 'जूते के ले स' 'अभिजात स्त्रियाँ' और कभी अपनी प्रेयसी पर कुछ कहने को आतुर दिखता है। इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी का एक एक पल जैसे मुकेश जी ने साकार प्र.स्तुत कर दिया है। सबसे बडी विशेषता उनकीआम बोलचाल की भाषा है जिसमें अंग्रेजी केशब्दों को भीबहुत सहजता व सरलता से प्रयोग किया है और भाषा कोबहती नदी सा सहज प्रवाह दिया है।
साधिकार तथा प्रभावशाली भावामिव्यक्ति के बावजूद कवि द्वारा स्वयं कहना कि 'मैं कवि नहीं हूँ'उनके'पांच मिलीग्रामछुटकू'से मन की विशालता ही सिद्ध करता है।मे री शुभकामना है कि हमिंग बर्ड जन जन तक पहुंचकर मुकेश जी को सर्वप्रिय बनाने में सहायक हो।
साधिकार तथा प्रभावशाली भावामिव्यक्ति के बावजूद कवि द्वारा स्वयं कहना कि 'मैं कवि नहीं हूँ'उनके'पांच मिलीग्रामछुटकू'से मन की विशालता ही सिद्ध करता है।मे री शुभकामना है कि हमिंग बर्ड जन जन तक पहुंचकर मुकेश जी को सर्वप्रिय बनाने में सहायक हो।