कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Monday, August 4, 2014

स्कूल - कालेज के दिनों में, कितने थेथर से होते थे दोस्त !!
साले !! चेहरा देख कर व आवाज की लय सुनकर परेशानी भाँप जाते थे । एक पैसे की औकात नहीं होती थी, खुद की, पर साथ खड़े रहते थे । और फिर फीलिंग ऐसी आती थी जैसे अंबानी/टाटा हो गया हूँ ।
मेरे गाँव से 2 किलो मीटर दूर हाई स्कूल था, छोटा सा 4 कमरे का, पर हाँ नाम बहुत बड़ा था ..
श्री सीता राम राय उच्च विद्यालय, रजौरा, बेगुसराय :)
छोटे से स्कूल में छोटा सा निक्कर पहने, बड़ी बड़ी कारस्तानी करते और वो थेथर दोस्त बड़े प्यार से अपना पीठ आगे कर देते......... काहे का फ्रेंडशिप बैंड, पजामे की डोरी से ही काम चल जाता है !!
पर उम्र के बढ़ते कदमों के साथ, ऐसी दूरी बढ़ गई कि एक दूसरे के चिंता को भाँप कर भी अनदेखी करना ही सहज लगता है ......... है न !! सच !!
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एवें हैप्पी फ्रेंडशिप डे कह कर खुद को खुश करते हैं, ............. जैसे दोस्तों के दोस्त हो गए हों

अच्छे थे .......... साले :) , वही पुराने वाले !!  

4 comments:

  1. उस दोस्तने में उमंग भी होती थी , मिठास भी होती थी और ये सब होता था बिना "हैप्पी फ्रेंडशिप डे " कहे हुए !

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  2. दोस्ती के वह रंग अब कहाँ हैं...

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  3. बहुत सुन्दर अहसास

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