कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Saturday, July 1, 2017

कुछ प्रेम कुछ जिंदगी



एक बड़े सरकारी अस्पताल का किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट, दो अलग शहर से भिन्न सम्प्रदाय का लड़का-लड़की, जवानी के खुशियों भरे दिन व सपने देखने के बजाय दर्द से बेहाल, थे भर्ती किडनी के ट्रांसप्लांट के लिए!
अलग-अलग बेड पर लेटे कराहते हुए एक दूसरे को छिपी नजरों से निहार कर दर्द कम करने की कोशिश कर रहे थे ! इस दर्द के सीजन में भी इस अजीब से साथ की वजह से कभी कभी मुस्कान तैर जाती दोनों के होंठो पर ! 
लम्बे ऑपरेशन अंतराल के बाद दोनों के अन्दर एक दम से जीने की जिजीविषा जग चुकी थी ! दोनों होश में आते ही दूसरे की खबर ले रहे थे ! लड़के ने आखिर पूछ ही लिया - कैसी हो, बड़ी चमक रही हो! फिर पहली बार मिलने पर दर्द को दबाये मुस्कुराते हुए लड़की बोली - फिट हूँ मूरख, तुम भी चमको !!
समय बीता, साथ साथ ही डिस्चार्ज हुए अस्पताल से , जीने के लिए पासपोर्ट हासिल कर लिया था दोनों ने उपरवाले से पर उसपर लगा वीसा इस शर्त पर मिला कि आगे की जिंदगी साथ गुजारेंगे !
फिर किसी मॉनसूनी दिन में लड़का देर से आई लड़की पर प्रेमसिक्त नजरों के साथ बरसते हुए कहता है - बाद्लें आती हैं, पर बारिश नहीं .....
जैसे उल्लू तुमने फोन कर के कहा, बस पहुँच रही हूँ, और फिर ...............सॉरी !! ऐसा जाम लगा कि पूछो मत, कल पक्का पक्का 
हुंह, इससे बेहतर तो अस्पताल का बिस्तर था, कराहते हुए निहारने का सुख तो मिलता था 
इंसान अपने लिए जी ले या अपनों के लिए....
अपनों के लिए जीने से जो खुशी मिलती है, वो अतुलनीय है
पर अगर अपने लिए जीने में ही, अपनों का जीना निहित हो जाए तो ??
काश “मैं” हर समय “हम” जैसा लगने लगे.............!!!
ऐसी प्यारी सी सोच दोनों में समा चुकी थी 
समय के साथ परिवार वाले विलेन भी बने ! पर कुछ लघु प्रेमकथा का अंत सुखद और वाजिब होता है ! ईद और दिवाली एक साथ मनाने का सुख कोई इनसे सीखे 😊
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रविश, मोहित और गजाला की मुस्कुराहटों को महसूसते हुए शाबाशी के साथ इंटरव्यू ले रहे थे !
हिंदी ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें  💐

2 comments:

  1. कभी इतने अलग माहौल में प्रेम की शुरुआत हो सकती है, ये तो सोचा ही न था...।

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  2. सच्ची घटना का रूपांतरण है

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