कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Tuesday, May 2, 2017

बतकही




अजीब सी होती है मनुष्य के अंदर की गर्मी, बेवजह की ऊष्मा !! 🙂
शावर के नीचे ठंडे पानी से अपने वजूद को लाख भिंगो दो, सारा ठंडा पानी शरीर से फिसल कर फर्श पर बिखरता हुआ पाइप के माध्यम से अंततः सीवर में पहुंच जाएगा। अंदर तो जैसे एक सहारा मरुस्थल, मीलों तक रेत की गरम हवाओं को समेटे गरम सांस लेता महसूस होगा। एसी की ठंडी ब्रीज भी साँय साँय करती नीरवता को सुकून नहीं दे पाएगी । यहाँ तक की प्राकृतिक तारों भरा आसमान भी ऐसे लगेगा जैसे ढेरों हैलोजन बल्ब ताप बढ़ा रहे हों । 😊
पर ऐसे मे ही किसी की बातें, वो अनर्गल सी भी हो तो भी भक्क से तापमान को दूध के पश्चुराइजेशन के तरह की स्थिति ला देती है, पल भर मे सब कुछ ठंडा ........... कूल कूल 🙃, यानी अब आप स्वयं का सुंदर उपयोग देर तक कर पाने की स्थिति में होते हैं 
मने फेसबुक जैसे सोशल साइट्स का उपयोग खुद को शांत रखने के लिए कर के देखें, शर्तिया अच्छा लगेगा 😇
तो संवाद कायम रहे, ............. गर्मी बढ़ रही है, बुझाया न 😜
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चलते चलते हम जैसे मेहनती पति की इल्तजा है 😊
फ्रीज के खाली पानी की बोतलों को समय से भरने के लिए हम जैसे पतियों को मजदूर दिवस की शुभकामनाएं व बधाई मिलनी चैये?
चैये की नहीं 😉😋

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