काश
🤗 कि बदलते समय और बदलते दुनियावी आदतों को बदलने के लिए आते कंप्यूटर एप्लीकेशंस में कुछ ऐसा बदलाव हो कि हम फेसबकिया कवियों के जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन लाने
😀 हेतु एक मजेदार एप्लीकेशन का इजाद हो जाए जिसके फलस्वरूप :-


जिससे मानवीय भावनाओं को स्थूल रूप दिया जा सके
🤓। एक बटन दबा दो तो पट से कुछ पागलपन की गोलियां निकलती - जो खाए, वही साहित्यकार
😜| साथ में होता कोई सिरप जैसा कुछ, सुबह शाम पीते ही, इंस्टेंट कथाकार | एटैचमेंट में एक डिबिया होती जिसमें प्रेम की रंग बिरंगी टिकिया होती,
😉 जिसे दे दो वही रात के तारे गिने, लगे गुनगुनाने - यार बिना चैन कहाँ रे, प्यार बिना चैन कहाँ रे या फिर खुद को इमरोज समझ अमृता की खोज शुरू कर देते |
🤣 कुछ कंट्रोल प्लस ऍफ़ वन टाईप बटन होते जिन्हें दबाते ही गुलजार वाली फीलिंग भर जाती | फिर दरख्तों और रोशनदानों पर ढूंढने लगते नए नए बिम्ब कविताओं के लिए |
😉





फ्री में साथ में, रचना संसार का पाउडर भी हुआ करता
🤗| तब हम हर मित्र को यही उपहार में भेजते | कविता की पुडिया पानी के साथ खाओ और फिर छंद लिखो, ज्यादा खा लिया तो धनाक्षरी, माहिया सोहर गीत सब लिख डालो|
😉 दुनिया ही काव्यमय हो जाती| न होता प्रकाशन का झंझट और न ही फिर किसी एक आध के प्रकाशित कविता के लिए बधाई का तांता लगता, या न ही उसे चुपके से पूछते, कितने का चेक आया
🤓



कुछ पेंट ब्रश सा अजीब ऑप्शन भी होना चाहिए था
😊 ताकि कविताओं के जीवंत होने के लिए आंसू की बूंदे या फूलों की फुहारें कवितानुसार बरसती रहती
😊
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सोचो सोचो,
😍 कोई ऐसी ईजाद क्यों नहीं !! आखिर ऐसी उल जलूल सोच ही तो खुशी देती है
😀


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सोचो सोचो,


ऐसे भी "चिंताग्रस्त व्यक्ति मृत्यु से पहले ही कई बार मरता है" तो
मैंने चिंता छोड़ कर चिंतन करने की शुरुआत कर दी है
मैंने चिंता छोड़ कर चिंतन करने की शुरुआत कर दी है

आप भी कोशिश करो न
🤗
