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दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 का मंच, खुबसूरत अभिनेत्रियों के साथ |
मुकेश कुमार सिन्हा की 'हमिंग बर्ड' आज ही मिली और एक बार जो खोली तो रुकने का मन ही नहीं किया……पूरा पढ़कर ही उठी . मिट्टी के ग्लास में जो कभी चाय मिल जाती है तो पहली घूँट भरते ही अनायास ही मुँह से निकलता है वाह! बस यही हुआ पहला पेज पढ़ते ही ……सरलता, सहजता और सरसता के आवरण में लिपटी हुई कवितायेँ बड़ी कोमलता के साथ मन तक पहुँचने की क्षमता रखती हैं. एक ओर कवि का '5 मिलीग्राम का छुटकू-सा 'मन'' है और दूसरी ओर 'बहुत-सी बेवजह की कविता ,ज़िंदगी के हर रूप की कविता' लिखने की ख़्वाहिश और इन सबके बीच सच्चाई और सहृदयता का हाथ थामे हुये उनका अदम्य उत्साह बार- बार सामने आ जाता है . मुकेश जी बोल-चाल की भाषा के स्वभाविक कवि हैं ,ललक है आगे बढ़ने की और कलम में बेहिसाब ताकत .......निश्चय ही आनेवाले समय में नई-नई ऊँचाईयों को छुयेंगे ,ऐसा मेरा विश्वास है.......शुभकामनाओं के साथ.......
- मृदुला प्रधान
२.
ओह ये हमिंग बर्ड !!!
मेरे घर आई
चहचहाई
पढ़ने बैठूँ
उससे पहले तबियत खराब हुई !
खाँसी, बीपी,बुखार …
सब हो गए हैं बिग बॉस के आर्टिस्ट
smile emoticon - एकदम पुनीत इस्सर
हिम्मत देखो इस चिड़िया की
चहचहाए जा रही है
इस कमरे से उस कमरे
मुकेश की लगन की उड़ान भर रही है
कह रही है,
अमां यह तो बस शुरुआत है
- रश्मि प्रभा
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दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 का मंच, पोएट ऑफ़ द इयर का अवार्ड लेते हुए |