कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Tuesday, March 17, 2015

लप्रेक 3

‪#‎लप्रेक‬ न. 3
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पल्सर पर अकेला ही तो जा रहा था कि
एक बस स्टैंड से थोडा पहले उसने बदहवासी के साथ हाथ हिलाया - लिफ्ट लिफ्ट !!
शायद होगी वजह जल्दी जाने की ।
उसने नही देखा था हेलमेट के अन्दर का पुरुष !
इसको !! इसकी आँखे चुंधिया गयी थी !
बला की खुबसूरत !!
चर्र !! चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र ! खुद ब खुद, लगी थी ब्रेक !
अब दो साथ जा रहे थे
फिर रस्ते में मिले कुछ गड्ढो ने बाइक के ऊपर की फिजिक्स ठीक कर दी !
कुछ किलोमीटर के सफ़र व स्पर्श के अहसास से एकदम से केमिस्ट्री भी बन गयी थी smile emoticon
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एक ने छोड़ने से पहले गुड लक व थैंक्स कहा
दुसरे ने कहा - सेल न. दोगे ? :)

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