कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Tuesday, February 2, 2016

प्रीति सुराना की लिखी एक कविता : हमिंग बर्ड के लिए

प्रीति सुराना, प्रीति अज्ञात और  मैं (पुस्तक मेले में) 


वो चिरैया "हमिंगबर्ड" है ना,...??
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एक अरसे से
सूना पड़ा था मेरा आंगन
कोई शोर नहीं
कोई चहल पहल नहीं
मन को चीरता हुआ सा सन्नाटा,..
मानो पंथी तो क्या
किसी पंछी को भी
ना दिखती हो
मेरे घर की मुंडेर
या मेरे आंगन में लगा पेड़,..
यूं लगता था मानो
मेरे भीतर का सूनापन
बिखर गया हो
मेरे जीवन के साथ साथ
मेरे घर आंगन में भी,..
तभी एक दिन अचानक
एक चहचहाहट सुनी
एक पल को लगा भ्रम हो मेरा
बाहर जाकर देखा
एक विलुप्तप्राय प्रजाति की नन्ही सी चिड़िया 'हमिंगबर्ड'
मेरे आँगन में फुदकती हुई कलरव करती नज़र आई,..
मानो बुला रही हो
मुझे अपने साथ खेलने को
उसी पल खयाल आया
परिंदों के स्थान परिवर्तन का मौसम है
कहीं ये हमिंगबर्ड रास्ता तो नहीं भूल गई,..
तभी तुम्हारा एक संदेशा मिला
"हमिंगबर्ड भिजवाई है, खयाल रखना उसका बहुत नाजुक है चिरैया मेरी,.."
ख़त्म हो गया उसीपल मेरे मन और जीवन का सूनापन एक साथ,...
शुक्रिया मित्र "हमिंगबर्ड" के लिए ,.. प्रीति सुराना

विभा श्रीवास्तव (दीदी) के  हाथों  में  छमकती हमिंग बर्ड 

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता लिखी है,प्रीति ने
    हमिंग बर्ड की उड़ान जारी रहे!
    शुभकामनाएँ :)

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  2. अति सुंदर प्रीति जी

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  3. अति सुंदर प्रीति जी

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 06 फरवरी2016 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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    सुंदर कविता के लिए बहुत2 बधाई !! ...

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