कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Monday, June 29, 2015

सपना सोनी के शब्दों में : हमिंग बर्ड

आज मैं अपने कवि मित्र मुकेश कुमार सिन्हा जी की पुस्तक हमिंग बर्ड की समीक्षा कर रही हूं।
सर्वप्रथम मैं मुकेश जी को धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्होने इतनी सुन्दर पुस्तक के माध्यम से अपने ही नही बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय से उत्पन्न भावों कि बङी खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।मुकेश जी बिहार से है लेकिन बम्बई वाले हीरों है smile emoticon
इस पुस्तक मे मुकेश जी ने सभी विषयों को छंदमुक्त
द्वारा प्रत्येक पाठक तक बङी आसानी से पहुँचाया है।जहां वे हमे प्रथम पृष्ठ मे परिवार से मिलाते है,ठीक वैसे ही अंतिम पृष्ठ पर खुद को "मैं कवि नहीं हूं"बताते है।
"हमिंग बर्ड"पुस्तक का शीर्षक ही बङा रोमांचक है।मुकेश जी का काव्य संकलन विभिन्न संवेदनाओ का प्रतिदर्श कराता है।
"आवाज"
"मकान"
"सङक"
"जिंदगी" ये सभी शीर्षक बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किये है इस पुस्तक मे ।
कुछ पंक्तियां जो बेहद पंसद आई मुझे....
"प्यार प्यार प्यार"
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न आसमान को मुट्ठी में
कैद करने की थी ख्वाहिश
और न,चांद -तारे तोङने की चाहत
कोशिश थी तो बस
इतना तो पता चले कि
क्या है
अपने अहसास की ताकत......
"मेरे अंदर का बच्चा"
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मेरे अंदर का बच्चा
क्यों करता है तंग
अंदर ही अंदर करता है हुङदग.....
मै सचमुच बहुत प्रभावित हुई हू हमिंग बर्ड से
मन के भावो कि किसी बंधन की जरुरत नही।
बहुत बहुत बधाई मुकेश जी ।
सपना सोनी
गुलाबी नगरी से


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