कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Sunday, April 20, 2014

ये जिंदगी की रफ्तार भी परेशानी का सबब होती है !! बहुत दिक्कत है............

कभी मेट्रो की तरह सुपर फास्ट व स्मूथ बिना किसी जाम के धराधार भागती हुई, तो कभी पथड़ीली सड़क पर पुराने सायकल के तरह  धीमी व खड़खड़ाती हुई, खीझ देती है । अत्यधिक तेजी खुद को एडजस्ट करने में दिक्कत देती है तो धीमापन मायूसी देता है, न हारते हुए भी कहीं लगता है सब कुछ छुट जाएगा, कितने पीछे रह जाएंगे । मन खटारे तिपहिये रिक्शे के ड्राइवर सा परेशान रहता है, ऐसा ल अगता है जैसे तीन मोटे सवारी के साथ रायसीना हिल्स पर चढ़ रहे हों।

"क्या करें, क्या न करें, ये कैसी मुश्किल आई, कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई ....... !"
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उफ ये ऊब, मायूसी, उम्र की निशानी तो नहीं ......... :) :)

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