कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Friday, April 11, 2014

ये तितलियाँ भी बिला वजह इस फूल से उस फूल, इस कली से उस कली तक मंडराती है, फरफराते सुनहले पंखो के साथ ... उन्हे क्या पता उनके सुकोमल पैर व पर पराग निषेचन का काम करते हैं, जिंदगी देते हैं, नई खुशियाँ वो बिना वजह ही फैलाती रहती हैं ॥ :)

शोख चमकते फूल, खिलखिलाते हुए अपने रंगीन पुष्प दल फैला देते हैं .......... आओ आओ न !! और बेचारी अचंभित तितलियाँ , इन रंगिनियों मे नए बहारों मे हँसती ठिठोली करती ....... और सतरंगे रंग भर देती है ...... :)
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आओ न कुछ रंग हम भी भरें, कुछ खुशियाँ मेरे कारण हो, कुछ खिलखिलाहट की वजह हम बनें ............. !!

आखिर मुसकुराना और मुस्कुराहट देखना उम्र बढ़ाती है :)

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