कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Saturday, January 29, 2011

"आल इस वेल"

मेरी ये पोस्ट अमन के पैगाम   (एक आम भारतीय के दिल की आवाज सुन लो या न सुनो "आल इस वेल"..मुकेश कुमार सिन्हा) पर पिछले दिनों आयी थी...मैंने सोचा था इसको अपने ब्लॉग पर फिर से प्रकाशित करूँगा...पर पता नहीं ब्लॉगर मराहराज को मेरे से क्या गुस्सा था, उन्होंने मेरे ब्लॉग को ही उड़ा दिया (जिंदगी की राहें )
तो इस नए ब्लॉग पे इसको पोस्ट कर रहा हूँ ...........झेलिये...:) और अमन के पैगाम को चहुँ और फैलाइए...:)

पिछले दिनों मासूम सर ने मेरे को इ -मेल करके कहा, मुकेश आप भी कुछ लिखो " अमन के पैगाम" के लिए..!.मैंने कहा...कोशिश करूँगा.....पर क्या कहूँ, बहुत सोचा लेकिन दिमाग ने जबाब दे दिया..........."आल इस वेल" यार!! क्यूं दिमाग पे इतना जोर दे रहे हो..! पर दिल ने कहा...कोई नहीं, कर ले कुछ कोशिश, बेशक "आल इस वेल", पर इसको बता तो दो........हम एक आम भारतीय.....एक ब्लॉगर के शब्दों में MANGO PEOPLE जायदा दिमाग कभी भी लगाना पसंद नहीं करते...बस दिल तो चाहता है अमन शांति रहे...पर इसको फ़ैलाने की. सबको बताने का मोल कौन ले.......वैसे ही प्याज के दाम से परेशान हैं............एक और परेशानी कौन मोल ले.........तो लीजिये...कुछ शब्द जोड़ दिए हमने............बेशक हो तुकबंदी..लेकिन दिल की आवाज है..............


एक आम भारतीय
के दिल की आवाज
सुन लो या न सुनो
"आल इस वेल"


अरे बाबा
आतंकवादियों की गोली
हो या उसके बाद
सरकारी आश्वासन  की बोली
सोचो न
"आल इस वेल"


हिन्दू मुस्लिम दंगा
या बेमतलब का
पुलिस  से पंगा
दिमाग मत लगाओ यार
"आल इस वेल"


बन जाये राम लल्ला का मंदिर
या अब भी होता
वही बाबरी मस्जिद स्थिर
हमें क्या
"आल इस वेल"


अब्दुल कसाब को दो फाँसी का फंदा 
न भी दो या विदेश से
चलते रहे दाउद  का धंधा
चुपचाप कहेंगे
"आल इस वेल"


अमन का पैगाम
फैले या न फैले
कोशिश तो कर लें
ताकि लाल खून
फैलने पे लगे लगाम
दिल ख़ुशी से कहेगा...
"आल इस वेल"


इसको लिखने के बाद फिर दिमाग ने कहा...अमा यार! तुमने भी ये क्या लिख दिया...ऐसे आम सोच से कैसे अमन का पैगाम फैलेगा...:)

फिर से दिमाग के ताले खोले, कुछ सोचा और अपने किसी अभिन्न के मदद से इसको ये रूप दे दिया...:) अब बताएं!!

एक आम भारतीय को
सुनाई पड़ती आवाज़
उसकी वाणी से निकालता
विवश स्वर
और दिल के किसी कोनेमें 
एक मासूम सी दमित इक्छा
काश सच हो जाये
कहना सुनना
और बोलना
"आल इस वेल" 


अरे बाबा
आतंकवादियों की गोली
नेताओं की टोली
और बोली
आश्वासन की रंगोली
हो जाये सच
फिर तो
होगा ही होगा
"आल इस वेल" 


जाति वाद का दंगा..
या फिर हो खाकी  वर्दी से पंगा
बुद्धि विवेक को मित्र  बनाओ
बनाओ मंदिर राम लाला का
या फिर मस्जिद में करो अजान
या फिर सोचो और बनाओ..
विद्या दान का मंदिर महान
फिर तो
होगा ही होगा
"आल इस वेल" 


अब्दुल कसाब की कैसी आँधी
आतंक वाद को देदो फांसी..
चलने न दो दाउद का धंधा
चाहे पड़े विदेशी फंदा..
अनमोल है रक्त हमारा
समझे नहीं इन्हें कोई मंदा
अमन का पैगाम..
तब फैलेगा
जब मिट जायेगा
कथनी करनी का अंतर

पहला कदम जब होगा खुद का
फिर तो
होगा ही होगा
"आल इस वेल" 
"आल इस वेल" 
"आल इस वेल" 
अंत में सौ बात की एक बात...काश हम सब भारतीय ये शपथ लें की हम अमन और शांति के समर्थक रहेंगे...........:) ……..मुकेश कुमार सिन्हा

26 comments:

  1. जाति वाद का दंगा..
    या फिर हो खाकी वर्दी से पंगा
    बुद्धि विवेक को मित्र बनाओ
    बनाओ मंदिर राम लाला का
    या फिर मस्जिद में करो अजान
    या फिर सोचो और बनाओ..
    विद्या दान का मंदिर महान
    फिर तो
    होगा ही होगा
    "आल इस वेल"

    अमन का राह प्रशस्त करती सुन्दर रचना !

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  2. aapke naye blog ko buri nazar naa lage..

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  3. :) bahut khub...
    waise mujhe umeed hi nahi purn wiswaas hai ki aapka purana blog wapas aa jayega.....

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  4. Thanx sonal....haan sekhar agar laut jaye to bahut khushi hogi...:)

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  5. ab is blog ko kisi ki nazar nahi lagegi .....

    achha laga aap fir se aaye naye blog ke sath ........

    मुकेश जी कुछ कारणों से मै परेसान हूँ आजकल ..........मै अपने परिवेश में कुछ माहौल ऐसा देख रही जिससे मेरे अन्दर एक आक्रोश भर जा रहा .......आज भी हमारे समाज में विवाह और प्रेम एक गलत धारणा ही बन कर रह गयी है ,बहुत अशांत है मन ,जब भी ये सुनती हूँ .एक सर्वगुण संपन्न लड़की तबतक माता पिता के लिए अच्छी रहती है जबतक वो उनके मर्जी से जिए ,पर जैसे ही वो अपने विवाह को लेकर अपने फैसले पर अटल हो जाये माता पिता के लिए सबसे बड़ी बोझ और ना जाने क्या क्या.बन जाती है क्या प्रेम विवाह गुनाह है ?? क्यों आज भी जाति बंधन का ढोल पीटनेवाले माता पिता अपने अंधे स्वार्थ के लिए अपने ही बच्चों की खुशियों की तिलांजलि दे रहे . मुझे इस विषय पर चर्चा करना है पर, चाहती हूँ कुछ लोगों की राय क्या है ? क्या ये परम्परा और आधुनिकता की दवंद में माता पिता हर बार बच्चो की खुशियाँ की बलि लें ,या फिर कभी अपनी भी सोंच को बच्चो के अनुसार ढालें, या विवाह एक समझौता है कह कर जबरन अपनी बेटी बेटों को सारी जीवन एक रिश्ते को ढोने पर मजबूर कर दें... आशा है इस विषय को आप भी उठायें आज के समाज के लिए ये ओनर किलिंग एक विचारार्थक विषय बन गया है क्योंकि मैंने अपने आस पास २, ३, लोगो को इसी कारण आत्महत्या करते देख लिया है ये कह कर की हम जीवन एक दुसरे के बिना नहीं काट सकते .........जब दो लोग अपना जीवन का भला बुरा तय कर अपनी ज़िन्दगी के उतार चदाव को महसूस करने के लिए उन्हें सहने के लिए तैयार हैं तो क्या बुराई है ऐसे रिश्तों को मान्यता देने में..........हम लेखक लोग हैं और किसी भी सामाजिक राजनीतिक विसंगति पर मन विद्रोही हो जाता है .........इस विषय को जरुर उठाने में मेरा साथ दें.
    आभार

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  6. .बहुत शानदार पोस्ट प्रस्तुत की है आपने .बधाई .

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति |बहुत बहुत बधाई |मेरे ब्लॉग पर आने और प्रोत्साहन के लिए आभार
    आशा

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  8. सुन्दर कटाक्ष...सटीक कविता के लिए हार्दिक बधाई।
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद...

    कृपया Word verification से टिप्पणीकारों को छुटकारा दिलाएं।

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  9. पहला कदम जब होगा खुद का
    फिर तो
    होगा ही होगा
    "आल इस वेल" ---- गहरी बात कह गए....

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  10. अमन का पैगाम
    फैले या न फैले
    कोशिश तो कर लें
    बहुत ही बढ़िया !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  11. Full of sarcasm..
    Beautifully expressed.
    Keep writing.

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  12. आपके शब्दों में सबकी पीड़ा है... शेष आल इज वेल।

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  13. bahut sunder....
    badla badla sa sab nzar aata hai.........:)
    naye look kee badhaee .

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  14. दर्शन जी से मिलना आपकी किस्मत में था।

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  15. all is well, but all are feeling like hell in current scenario.



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    मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है
    ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये! पार्ट-1
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  16. बहुत अच्छी प्रस्तुति.

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  17. bahut sashakt paigaam deti huee aapki yeh kavita,sab kuchh keh jaati hai.phir bhee n koee samjheto---all is well,badhai

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  18. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.

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  19. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  20. acha likhte hai aap

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  21. बहुत सार्थक प्रस्तुती ,बधाई आप को,अगर आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो सब को टिप्पणी देने में सुविधा रहेगी

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  22. very well written...all is well :)

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  23. आज के परिवेश में बहुत सुन्दर प्रस्तुति मुकेश जी .......

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